Physics और मोहब्बत


मेरी वह पहली सी मोहब्बत 

हम कभी मिले नहीं, जिक्र उनका अक्सर हुआ

फ़क़त चांद तारों से हुई गुफ्तगू में हम अक्सर साथ रहे 

उनका अक्स चांद तारों से परे 

और मैं माटी में बिखरा धूल सा

गर जो मिल बैठे कभी,

यह सोच दिल दहल गया की कायनात बिखर जाएगी


Parallel lines की तरह थे रास्ते हमारे 

Physics की law of infinity की ओर बढ़ते कदम  आज भी बेबस हो, एक मोड़ तलाशते हैं, की अपने वजूद को रख परे कभी तो उनका अक्स हो जाऊ

वो आंकड़ों से बंधे हैं 

और हमारी physics बस laws sikha जाति है

मेरी वह पहली सी मोहब्बत वक्त की किताब में कहीं दफ्न है ।।

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