बचपन
आओ बचपन की बात करते हैं
उन दराजों से हँसी के दो पलनिकाल कर फिर से जीतें हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
वहीं मस्तियाँ वहीं शरारतें फिर से दोहराते हैं
उन्ही नादानियों से सब को फिर से हंसाते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
वो स्कूल की लँचब्रेक वाली लड़ाई
तो कभी टीचर की दांट ओर पिटाई
कि कहानियां फिर से सुनाते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
दोस्तों संग वो साईकल वाली रेस
तो कभी चीटिंग कर जीती वो चेस
कभी छुपन्छुपाई तो कभी पतंग कि लटाई
वो राजा मंत्री चोर सिपाही वो कैरम की लड़ाई
चलो सबको फिर से दोहराते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
वो बारिश के नाव वो दीपावली
के घरोंदे फिर से बनाते हैं
खुले आसमान के नीचे तारों को देखते
दादी की वो कहानियाँ फिर से सुनते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
न कोई चिंता न कोई फिक्र
न कोई बैर न कोई द्वेष
चलो सबको मोहब्बत फिर से सीखाते हैं
उन्ही नादानियों से सब को फिर से हंसाते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
वो स्कूल की लँचब्रेक वाली लड़ाई
तो कभी टीचर की दांट ओर पिटाई
कि कहानियां फिर से सुनाते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
दोस्तों संग वो साईकल वाली रेस
तो कभी चीटिंग कर जीती वो चेस
कभी छुपन्छुपाई तो कभी पतंग कि लटाई
वो राजा मंत्री चोर सिपाही वो कैरम की लड़ाई
चलो सबको फिर से दोहराते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
वो बारिश के नाव वो दीपावली
के घरोंदे फिर से बनाते हैं
खुले आसमान के नीचे तारों को देखते
दादी की वो कहानियाँ फिर से सुनते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।
न कोई चिंता न कोई फिक्र
न कोई बैर न कोई द्वेष
चलो सबको मोहब्बत फिर से सीखाते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।।
बड़ा ही खूबसूरत था वो बचपन
न सुबह की फिक्र होती थी न शाम का ठिकाना
स्कूल से जल्दी घर आना होता था क्यूंकी खेलने भी
होता था जाना।
वो बाजार की सैर होती थी वो मेले की मिठाईया
न रोने की वजह होती थी ना हँसने का बहाना
मासूमियत भरी जिंदगी होती थी
ओर मााँ के हांथो का खाना
वो बाजार की सैर होती थी वो मेले की मिठाईया
न रोने की वजह होती थी ना हँसने का बहाना
मासूमियत भरी जिंदगी होती थी
ओर मााँ के हांथो का खाना
जिंदगी थी जैसे मानो खुशियो का खजाना
बड़ा ही अनोखा था वो बचपन
ओर अनोखी थी वो यादें
चलो वो यादें फिर से दोहराते हैं
तुम्हें बचपन की सैर कराते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।।
तुम्हें बचपन की सैर कराते हैं
आओ बचपन की बात करते हैं।।
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