YE BAARISH
कुछ तो है इन घनघोर घटाओं में
बरस कर बूंदों की शैली में मेघों से सुर-ताल मिलाती है
सूर्य की तपती किरणों से तपे इस वातावरण को
ठंढक का अहसास कराती है।
कुछ तो है इन बारिश की बूंदों में
और कुछ तो है इन घनघोर घटाओं में.,
ये बारिश की बूंदें हैं
मंजिल, इनकी जाने कहाँ है
मगर जब ये बरसती हैं एक नई राह सजाती हैं
गिरती है लुढ़की है जाने कई मन्जरों गुजरती है
थर-थराते हुवे कदमो को उम्मीद की नई राह दिखाती है
कुछ तो है इस बारिश में
बरस कर बूंदों की शैली में मेघों से सुर-ताल मिलाती हैं
पेड़-पौधे,पशु-पक्षी ओर ये सारी फसलें,
सब इसकी स्वागत गान करते हैं
मेघ आते हैं बन-ठन के यहाँ
हवाएं भी लहलहा कर अपनी खुशी इजहार करती हैं
कुछ तो है इस बारिश में
बरस कर बूंदों की शैली में मेघों से सुर-ताल मिलाती हैं
ये बारिश की बूंदें हैं
जब भी आती है ढेरो खुशिया लाती है
फसलों को मुस्कान देकर
सबकी प्यास बुझाति है
धरती भी तब इत्र लगाती है
अपनी सोंधी खुशबू से हम सबको लूभाति है
कुछ तो है इस बारिश में
बरस कर बूंदों की शैली में मेघों से सुर-ताल मिलाती हैं
कहीं बच्चों के छोटे नाव होते हैं
तो कहीं बाजारों बिक रही रंबिरंगी छतरियां होती हैं
मेंढको की टार्टर वाली धुन होती है
ओर किसानों के चहरे की मुस्कान होती है।
ये वो बारिश है, जब भी आती है ढेरों खुशिया लाती है
और कुछ तो है इन बारिश की बुंदो में
जब भी बरसती है कुछ तुम्हारी, हाँ तुम्हारि याद दिलाती है।।
-Puskar Srivastava
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